Tuesday, January 11, 2011

An Old One!

क्या खूब ज़िन्दगी का तमाशा देखा
जवानी में बुढ़ापा आते हुए देखा |

देखा न तो बस सपने को हकीकत में बदलते
जो बनाया था उसे उजड़ते देखा |

दुनिया की निभाईं सारी रस्में
खुदी को दुसरे के लिए जलाते देखा |

हर किसी ने माँगा जो उसे लगा अच्छा
न देखा तो बस किसी ने मुझे उजड़ते देखा |

नए मकाम मिले तो खुश भी होना था
पर जो दिल के करीब था उसे जाते हुए भी देखा |

अब किस से कहें क्या है कमी
एक अरसा हुआ खुद को मुस्कुराते देखा |

न जाने किस राह पर चल पड़े हैं
कोई फिकर भी नहीं,
देखा तो बस कल, आज और आज का कल देखा |

1 comment:

Manisha said...

y hav u posted such a depressing piece of writing...I hate it!